बड़ा कातिल अँधेरा है
बड़ा कातिल अँधेरा है सुबह होने नहीं देगा
निगाहों से निगाहों तक धुँआ है बस उदासी है
ज़रा देखो किसी पुल से नदी हर एक प्यासी है
भयानक ख्वाब आँखों फिर सोने नहीं देगा
बड़ा कातिल ………………
बहुत अनुकूल है मौसम घटायें महरवा भी है
सफ़र के ही मुताबिक सारी हवायें
तलातुम अपनी कश्ती का सफ़र होने नहीं देगा
बड़ा कातिल ………………
महेन्द्र भार्गव
गंज बासौदा