गीत - ग़ज़ल
सोमवार, 21 फ़रवरी 2011
बच्चे
मुठ्ठी में बंद कस्तूरी सा महकता बचपन
या किसी रिसक पट्टी पर फिसलता बचपन
जिस सांचे में ढालोगे ढल जायेंगे
बच्चे हैं आज संभाला तो संभल जायेंगे
महेंद्र भार्गव
गंज बसोड़ा
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