नाम कमाया जीवन भर ना नामा पाया
सब कहते है जीवन तू ने व्यर्थ गवाया
अरे हम तो ठहरे निपट अनाड़ी
क्या समझेंगे दुनियादारी
गिरगिट जैसा रंग स्वाभाव में भर ना पाया
सब कहते है जीवन तू ने व्यर्थ गवाया
ऊँची नीची रह चले है आड़े टेड़े होग मिले है
अपशब्दों के बदले में आभार जताया
सब कहते है जीवन तू ने व्यर्थ गवाया
महेंद्र भार्गव
गंज बासोदा
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