गुरुवार, 13 जनवरी 2011

इंतजार

 हम राह देखते रहे प्रभात कि 
ना जाने कब सहर होगी इस रात कि
आज बस्तियों से फिर धुआं उठा है 
किसी ने फिर छेड़ दी है जिक्र जात कि 
महेंद्र भार्गव
गंज बासोदा 

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